परफार्मेंस घोटाला :: पूर्व डीपीआरओ और कर्मचारियों पर केस

परफार्मेंस घोटाला :: पूर्व डीपीआरओ और कर्मचारियों पर केस


परफार्मेंस ग्रांट घोटाले में सतर्कता विभाग ने गोरखपुर के पूर्व डीपीआरओ आरके भारती और पंचायत राज विभाग के कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार सहित अन्य धाराओं में कोतवाली थाने में केस दर्ज कराया है।


सरकारी धन का दुरुपयोग करने का यह मामला 2016-17 का है। दरअसल, शासन ने वित्तीय वर्ष 2016-17 में 14वें वित्त आयोग के अन्तर्गत परफार्मेंस ग्रांट की धनराशि 31 जिलों की 1798 ग्राम पंचायतों में से 1123 ग्राम पांचायतों को अनियमित रूप से आवंटित करने की जांच का आदेश सतर्कता विभाग को दिया था।


जांच में पाया गया कि शासनादेश के अनुक्रम में निदेशालय द्वारा प्रदेश के सभी जनपदों से पात्र ग्राम पंचायतों को परफार्मेंस ग्रांट प्रदान किए जाने के लिए आडिट रिपोर्ट के अनुसार निर्धारित प्रारूप में ग्राम पंचायतों की सूचना जिलों से मांगी गई थी। इसके अनुपालन में सभी 31 जनपदों से निदेशालय को सूचना दी गई। जिसके आधार पर निदेशालय की चयन समिति द्वारा 21 मार्च 2017 की बैठक में परफार्मेंस ग्रांट प्रदान किए जाने के लिए जिला पंचायत राज अधिकारियों द्वारा प्रेषित सूची में से 1798 ग्राम पंचायतों का चयन कर लिया गया। खुली जांच में उपलब्ध कराए गए अभिलेखों एवं तथ्यों के आधार पर यह पाया गया कि जनपद स्तर पर ग्राम पंचायतों के चयन का दायित्व ब्लाक के सहायक विकास अधिकारी पंचायत का था।


जांच में सामने आया कि जनपद के सम्बंधित अधिकारियों ने निदेशालय को भेजी गई सूची ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर न तैयार करके मनमाने ढंग से भेजी। तत्कालीन डीपीआरओ गोरखपुर आरके भारती द्वारा परफार्मेंस ग्रांट के लिए निदेशालय को 26 अगस्त 2016 को सूची भेजी गई थी। इस सूची का जांच के दौरान 26 अप्रैल 2019 को मौजूदा डीपीआरओ हिमांशु शेखर से मिली सूची से मिलान कराया गया तो काफी अंतर मिला।


इस तरह से पकड़ी गई थी गड़बड़ी


तत्कालीन डीपीआरओ आरके भारती ने मुख्यालय को भेजी अपनी सूची में 40 पात्र ग्राम पंचायतों का उल्लेख किया था। इस सूची में चरगांवा ब्लाक की ग्राम पंचायत जंगल तिनकोनिया नम्बर एक को सम्मलित नहीं किया गया था। जबकि वर्तमान डीपीआरओ हिमांशु शेखर ठाकुर द्वारा उपलब्ध कराई गई सूची में जंगल तिनकोनिया नम्बर एक को भी सम्मिलित करते हुए 41 ग्राम पंचायतों के पात्र होने का उल्लेख किया गया है। दोनों सूचियों के पृष्ठों की लाइनों की संख्या में भी अंतर है। पूर्व की सूची में जो ग्राम पंचायतें पात्र दर्शायी गई हैं, उन्हें अपात्र की श्रेणी में रख दिया गया है। इस तरह निदेशालय को सात प्रकार की संशोधित सूचियां प्रेषित की गई थी। 26 अगस्त 2016 को प्रेषित बुकलेट सूची के अनुसार जो ग्राम पंचायतें अपात्र थीं, उन्हें संशोधित सूची में पात्र दर्शाया गया है जबकि बुकलेट सूची में जो ग्राम पंचायतें पात्र थीं उन्हें 119 संशोधित सूची में अपात्र दर्शाया गया। इस जांच रिपोर्ट में पाया गया कि तत्कालीन डीपीआरओ आरके भारती ने निदेशालय को भ्रामक फर्जी एवं त्रुटिपूर्ण जानकारी दी जिसके बाद उनके खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश हुआ।


इन धाराओं में हुआ केस


उत्तर प्रदेश शासन सतर्कता अनुभाग ने गोरखपुर के तत्कालीन डीपीआरओ आरके भारती निवासी पकड़ी छापर, पथरदेवा देवरिया के खिलाफ कोतवाली थाने में 420, 466, 467, 468, 471, 166, 34 भा.द.वि एवं धारा 13(1)(सी) व धारा 13 (1)(डी) सपठित धारा 13 (2) भ.नि.अधि 1988 (2018 के अधिनियम संख्या 16 द्वारा प्रतिस्थापित ) में केस दर्ज कराया है।


क्या है परफार्मेंस ग्रांट


जो ग्राम पंचायतें अपनी परिसंपत्तियों जैसे दुकान, तालाब का पट्टा, बाजार आदि से धन अर्जित करती हैं वे परफार्मेंस ग्रांट हासिल करने की पात्र होती हैं। इसके लिए केंद्र सरकार द्वारा 14वें वित्त के तहत यह ग्रांट मुहैया कराई जाती है। इस बजट से पेयजल एवं स्वच्छता संबंधी कार्य कराए जा सकते हैं। यह धनराशि 14वें वित्त के तहत मिली धनराशि का दस प्रतिशत होता है।